सोमवार, 27 मार्च 2017

Be Alert for Heath


सावधान ! यदि आप गैस की समस्या से जूझ रहे है। यह दिखने में आम समस्या अधिकांश आबादी को अपने चपेट में ले रहा है, जो कि शरीर में हो रही कब्ज, अल्सर, डायरिया(दस्त), ऊर्जा की कमी, पेट दर्द, सर दर्द, सुगर इत्यादि जैसे 95% बीमारियों का असली व मूल कारण है।

आखिर गैस होने के कारण क्या है?
क्यों हम बीमार पड़ते है?
थोड़ी समझने की कोशिश किया जाये...
आप प्रतिदिन ब्रश और जीभी करते है तो जीभ से एक परत हटाते है। कभी आपने सोचा है, ये जो आपकी जीभ पर गन्दगी का परत बना वो आपके आंतों में भी कितने दिनों से कितने परते बना होगा?
क्या कभी आपने उस गंदगी के परतों व अवशिष्ट पदार्थ को हटाने की कोशिश की, जो हमारे आज के जहर युक्त भोजन व आधुनिक जीवनशैली से प्रतिदिन गन्दगी में बढ़ोतरी होते जा रहा है।

आधुनिक जीवनशैली के कारण आपकी आंतो में पुराना गन्दगी की परतें व अशिष्ट पदार्थ 13 किलो से भी कुछ अधिक मात्रा में उपस्थित हो सकता है, जो आपके यकृत, गुर्दे और फेफड़े पर बेहद बुरा प्रभाव डालता है। यह लगभग सभी बीमारियो का असली व मूल कारण है।

थोड़ी और विस्तार से देखे तो स्वस्थ पाचन तंत्र को अच्छे स्वास्थ्य का आधार माना जाता है . यह सदियों से माना जा रहा है और साबित हो चूका है कि हमारी मानसिक और शारीरिक ताकत पाचन की बढ़िया कार्यप्रणाली से आती है जो सारे पोषको को सोखने और विषों को निकालने के लिए जिम्मेदार होती है . जब तंत्र स्वस्थ है और अच्छी तरह काम कर रहा है , तो पुरे शरीर की प्रक्रियाए और प्रणालियाँ सुचारू रूप से चलती है . अब शरीर अच्छी तरह से नहीं पचा रहा है , तो गैस , अफारा , मतली , कब्ज , मोटापा और भावनात्मक असंतुलन के लक्षण दिखाई देते है . जब ये लक्षण दिखते है, तो शरीर अपनी पूरी क्षमता के साथ विषहरण नहीं कर रहा है और लिवर में विषैले पदार्थो की भरमार है.

जब हम ब्रेड , मांस और सब्जियो जैसी चीजे खाते है , वे उस रूप में नहीं होती जिसे हमारा शरीर पोषण की तरह उपयोगी कर सके . हमारे भोजन और पेय को शरीर में सोखे जाने और पुरे शरीर में कोशिकाओ तक पहुचाए जाने से पहले पोषको को छोटे – छोटे कणों में परिवर्तित किया जाना चाहिए . पाचन वह प्रक्रिया है जिसमे भोजन और पेय को एकदम छोटे टुकड़ो में तोड़ा जाता है ताकि शरीर उन्हें कोशिकाएं बनाने और पोषण करने और ताकत देने के लिए उपयोग कर सके.

पचाया गया भोजन पाचन प्रणाली के माध्यम से बढ़ता है . इसे यांत्रिकी ( चबाना, मथना) और रासायनिक (पाचक रसों) रूप से तोड़ा जाता है . इसका एक भाग घुलनशील पोषकों में परिवर्तित किया जाता है जिन्हें छोटी आंत में रक्त में सोखा जाता है और फिर अंगो तक पहुचाया जाता है . आंत में, अनपचा आहार विष्ठा के रूप में निकाल दिया जाता है.
सोखने का अधिकतर काम छोटी आंत में होता है, चुकि यह चाइम( पेट से बाहर आने वाला आंशिक रूप से पचा भोजन) के संपर्क में आने वाली एपिथेलियल मेम्ब्रेन की मात्रा पर निर्भर करता है, इसलिए आंत्रीय दीवार की तहों और विलाई कही जाने वाली संरचनाओ द्वारा प्रदान किया जाता है.

आंत्रीय विलाई छोटी उंगलियों जैसे प्रक्षेप है जो छोटी आंत की दिवार से बाहर आते है और और उनमे माइक्रोविलाई कहे जाने वाले अतिरिक्त विस्तार होते है जो विलाई लाइनिंग से बाहर निकलते है. वे शोषण का क्षेत्र और आंत्रीय दीवार की सतह का क्षेत्र बढ़ाते है . भोजन का काफी तेजी से अवचुषण महत्वपूर्ण है ताकि ज्यादा भोजन सोखा जा सके.
हममे से अधिकतर लोग जरूरत से ज्यादा खाते है लेकिन फिर भी कुपोषित रहते है . हमारे स्वाद मुलायम , मीठे, चिपचिपे स्वादिष्ट आहार की ओर आकर्षित रहते है – पाचन तंत्र से बेकार चीजों को ले जाने वाले फाइबर की कमी वाले ये भोजन और बेकार चीजे हमारी विलाई पर परत बनाते है और अवरुद्ध करते है , उन्हें कांक्रीट की तरह भर देते है . संचित , अब विषैले हो चुके , भोजन के कण विलाई को उसका काम करने से रोकते है . पोषको को शरीर की सभी कोशिकाओ को भोजन देने के लिए रक्त तक पहुँचाना मुश्किल हो जाता है .
आपको शायद मालूम न हो, इसे साफ किया जा सकता है, वो भी प्राकृतिक तरीके से और अपने शरीर को स्वास्थ्य बनाया जा सकता है। अगर कुछ हफ्तों तक , फॉरएवर एलो वेरा जेल को रोजाना लिया जाए , तो सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि विषों को साफ करने की प्रक्रिया काफी आसान हो गई है. चुकि फॉरएवर एलो वेरा जेल में सबसे विशिष्ट गुण है जो कि एक –एक कोशिकाओं की सफाई , मरम्मत एवं पोषण देने का कार्य करता है. इस प्रकार हमारे शरीर के सभी विषों को बाहर निकाल कर स्वस्थ शरीर बनाने में सहयोग करता है . 





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