बुधवार, 30 मई 2018

अपने प्रॉस्पेक्ट को फॉरएवर लिविंग प्रोडक्ट की प्रस्तुति करने से पहले की कुछ महत्वपूर्ण तैयारियां

अपने प्रॉस्पेक्ट को फॉरएवर लिविंग प्रोडक्ट की प्रस्तुति करने से पहले की निम्न तैयारियां महत्वपूर्ण है

1. यदि हम किसी भी प्रोस्पेक्टस को फॉरएवर लिविंग प्रोडक्ट प्रस्तुति के लिए जाना है तो सबसे पहले हमारा ड्रेस सही यानि एक प्रॉफेशनल लुक होना चाहिए। तथा प्रॉफेशनल विजिटिंग कार्ड भी रखे।
2. हमारे पास एक प्रेसन्टेशन फाइल होने चाहिये जिसके द्वारा हम अपने प्रॉस्पेक्ट को इस अवसर के बारे में तथ्यों और आकड़ो के साथ इस अवसर को दिखा सकते है और उसको अपने साथ ला सकते है | अपना या अपने अपलाइन के मासिक बोनस चेक फोटो कॉपी अपने प्रॉस्पेक्ट को दिखाने के लिए साथ रखनी चहिये |
3. हमारे पास एक डेमो किट होनी चाहिये जिसके द्वारा हम अपने कुछ उत्पादों जैसे एलो स्क्रब , एलो वेरा जेली, एलो लिप्स आदि का प्रदर्शन अपने प्रॉस्पेक्ट को दिखा सकते है | ऐसा करने से हमारा प्रॉस्पेक्ट अत्याधिक प्रभावित होता है | और हमारे साथ ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ते है |

4. हमें अपने साथ कंपनी के किताबे जैसे गुड हेल्थ, प्रोडक्ट कैटलॉग भी रखने चहिये |

मल्टी लेवल मार्केटिंग / नेटवर्क मार्केटिंग / डायरेक्ट सेल कम्पनी से जुड़ने के फायदे
5. हमारे पास अपने प्रॉस्पेक्ट को देने हेतु कंपनी के कुछ उत्पाद भी होने चाहिये |
6. हमे अपने साथ कुछ प्रोडक्ट की जानकारी हेतु हैंडविल, फोल्डआउट इत्यादि भी होना चाहिए।



व्यापार को विकसित करने और उसमे सफलता प्राप्त करने में FBO का व्यक्तित्व और क़ाबलियत बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है |

प्रदर्शन के दौरान अगले की रिजल्ट आपके आत्मविश्वास पर बहुत निर्भर करता है।

मंगलवार, 8 मई 2018

हीरे की खोज

हाफिज अफ्रीका का एक किसान था। वह अपनी जिंदगी से खुश और संतुष्ट था । हाफिज खुश इसलिए था कि वह संतुष्ट था। वह संतुष्ट इसलिए था क्योंकि वह खुश था। एक दिन एक अकलमंद आदमी उसके पास आया उसने हाफिज को हीरे के महत्व और उनसे जुड़ी ताकत के बारे में बताया उसने हाफिज को हीरे के महत्व और उनसे जुडी ताकत के बारे में बताया । उसने अभी से कहा, "अगर तुम्हारे पास अंगूठे जितना भी बड़ा हीरा हो, तो तुम पूरा शहर खरीद सकते हो, और अगर तुम्हारे पास मुट्ठी जितना बड़ा हीरा हो तो तुम अपने लिए शायद पूरा देश ही खरीद लो।" वह अकलमंद आदमी इतना कह कर चला गया । उस रात हफीज सो नहीं सका । वह असंतुष्ट हो चुका था, इसलिए उसकी खुशी भी खत्म हो चुकी थी।

दूसरे दिन सुबह होते ही हफीज ना अपने खेतों को बेचने और अपने परिवार की देखभाल का इंतजाम किया, और हीरे खोजने के लिए रवाना हो गया। वह हीरो की खोज में पूरे अफ्रीका में भटकता रहा, पर उन्हें पा नहीं सका। उसने उन्हें यूरोप में भी ढूंढा पर वे उसे वहां भी नहीं मिले। स्पेन पहुंचते-पहुंचते वह मानसिक, शारीरिक और आर्थिक स्तर पर पूरी तरह टूट चुका था। वह इतना मायूस हो चुका था कि उसने बार्सिलोना नदी में कूदकर खुदकुशी कर ली।
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इधर जिस आदमी ने हफीज के खेत खरीदे थे, वह एक दिन उन खेतों से होकर बहने वाले नाले में अपने ऊँटो को पानी पिला रहा था । तभी सुबह के वक्त उग रहे सूरज की किरने नाले के दूसरी ओर पर पड़े एक पत्थर पर पड़ी और वह इंद्रधनुष की तरह जगमगा उठा। यह सोच कर कि वह पत्थर उसकी बैठक में अच्छा दिखेगा, उसने उसे उठाकर अपनी बैठक में सजा दिया । उसी दिन दोपहर में हफीज को हीरो के बारे में बताने वाला आदमी खेतो के इस नए मालिक के पास आया। उसने उस जगमगाते हुए पत्थर को देखकर पूछा, "क्या हाफिज लौट आया?" नए मालिक ने जवाब दिया, "नहीं, लेकिन आपने यह सवाल क्यों पूछा?" अकलमंद आदमी ने जवाब दिया, "क्योंकि यह हीरा है। मैं उन्हें देखते ही पहचान जाता हूं।" नए मालिक ने कहा, "नहीं, यह तो महज एक पत्थर है। मैंने इसे नाले के पास से उठाया है। आइए, मैं आपको दिखाता हूं। वहां पर ऐसे बहुत सारे पत्थर पड़े हुए है। उन्होंने वहां से नमूने के तौर पर बहुत सारे पत्थर उठाए, और उन्हें जांचने-परखने के लिए भेज दिया। वे पत्थर हीरे ही रही साबित हुए। उन्होंने पाया कि उस खेत में दूर-दूर तक हीरे दबे हुए थे ।
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इस कहानी हमे बताती है कि यदि हमारी नजरिया सही हो तो हर नकरात्मक परिस्थितियों में भी सकारात्मक ढूंढ सकते हैं। कहा जाता है न कि दूर का ढोल सुहावन लगता है। या फिर दूसरे के खेत की घास हमेशा हरी होती है। ऐसे भी जिन्हें मौके की पहचान नही होती, उन्हें मौके का खटखटाना शोर लगता है। मौका जब आता है, तो लोग उसकी अहमियत नही समझते। और जब मौका जाने लगता है, तो उसके पीछे भागते है।
इसलिए हमे किसी भी मौके को हाथ से जाने से, पहले गंभीरता से बिचार करने के उपरांत ही एक ठोस निर्णय लेना चाहिए।

गुरुवार, 3 मई 2018

संघर्ष ही सफलता की सीढ़ी है

एक बार एक  किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया। कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये। हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाये।
एक दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा ,देखिये प्रभु, आप परमात्मा हैं , लेकिन लगता है आपको खेती-बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है ,एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये, जैसा मै चाहू वैसा मौसम हो, फिर आप देखना मै कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा। परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मै दखल नहीं करूँगा।

किसान ने गेहूं की फ़सल बोई ,जब धूप चाही, तब धूप  मिली, जब पानी तब पानी। तेज धूप, ओले,बाढ़, आंधी तो उसने आने ही नहीं दी, समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी,क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई  थी।  किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को, की फ़सल कैसे करते हैं ,बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते रहे।
फ़सल काटने का समय भी आया ,किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया, लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा ,एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया!  गेहूं की एक भी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था ,सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी,  बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा, प्रभु  ये  क्या हुआ?
तब परमात्मा बोले-
ये तो होना ही था ,तुमने पौधों  को संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया। ना तेज  धूप में उनको तपने दिया, ना आंधी ओलों से जूझने दिया ,उनको  किसी प्रकार की चुनौती  का अहसास जरा भी नहीं होने दिया, इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए, जब आंधी आती है, तेज बारिश होती है ओले गिरते हैं तब पोधा अपने बल से ही खड़ा रहता है, वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है और इस संघर्ष से जो बल पैदा होता है वोही उसे शक्ति देता है ,उर्जा देता है, उसकी जीवटता को उभारता है.सोने को भी कुंदन बनने के लिए आग में तपने, हथौड़ी  से पिटने, गलने जैसी चुनोतियो से गुजरना पड़ता है तभी उसकी स्वर्णिम आभा उभरती है, उसे अनमोल बनाती है।

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उसी तरह जिंदगी में भी अगर संघर्ष ना हो ,चुनौती  ना हो तो आदमी खोखला  ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता। ये चुनोतियाँ  ही हैं जो आदमी रूपी तलवार को धार देती हैं ,उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं, अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनोतियाँ  तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी, अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे।  अगर जिंदगी में प्रखर बनना है, प्रतिभाशाली बनना है ,तो संघर्ष और चुनोतियो का सामना तो करना ही पड़ेगा।


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मंगलवार, 1 मई 2018

आंतरिक गुण का महत्व

एक आदमी मेले में गुब्बारे बेच कर गुजर-बसर करता था। उसके पास लाल, नीले, पीले, हरे और इसके अलावा कई रंगों के गुब्बारे थे। जब उसकी बिक्री कम होने लगती तो वह हीलियम गैस से भरा एक गुब्बारा हवा में उड़ा देता। बच्चे सब उस उड़ते गुब्बारे को देखते, तो वैसा ही गुब्बारा पाने के लिए आतुर हो उठते। वे उसके पास गुब्बारे खरीदने के लिए पहुँच जाते, और उस आदमी की बिक्री फिर बढ़ने लगती । उस आदमी की बिक्री जब भी घटती, वह उसे बढ़ाने के लिए गुब्बारे उड़ाने का यही तरीका अपनाता। एक दिन गुब्बारे वाले को महसूस हुआ कि कोई उसके जैकेट को खींच रहा है। उसने पलट कर देखा तो वहाँ एक बच्चा खड़ा था। बच्चे ने उससे पूछा, "अगर आप हवा में किसी काले गुब्बारे को छोड़े, तो क्या वह भी उड़ेगा?" बच्चे के इस सवाल ने गुब्बारे वाले के मन को छू लिया। बच्चे की ओर मुड़ कर उसने जवाब दिया, "बेटे गुब्बारा अपने रंग की वजह से नही बल्कि उसके अंदर भरी चीज की वजह से उड़ता है।"

दोस्तों ये कहानी हम सभी के जीवन मे आये दिन होते रहती है। जब हम किसी सफल व्यक्ति को देखते है तो हमे लगता है कि उसकी पर्सनालिटी तथा उसकी रंग की वजह से वैसा है। जबकि उस व्यक्ति के अंदर की जो विचारे है, सोच है, जानकारी है इत्यादि के वजह से ही वह सफल होता है।
यदि हमें सफल होनी है तो हमे भी अपनी सोच व जानकारी को बढ़ाने के लिए प्रयास करता रहना चाहिए। हमारी सोच व जानकारी इस बात पर निर्भर करता है कि "हम किस तरह के किताबे, वीडियो तथा लोगो के संपर्क में रहते है"।

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