बुधवार, 14 मार्च 2018

बाज की असलियत

एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों  बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्ही की तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि-” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”

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तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक मुर्गी हो!”


बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.
 दोस्तों , हममें से बहुत से लोग  उस बाज की तरह ही अपना असली क्षमता जाने बिना एक संघर्ष भरी ज़िन्दगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास के नाकरात्मक लोग हमें भी नाकरात्मक बना देती है. हम में ये भूल जाते हैं कि हम आपार संभावनाओं से पूर्ण एक प्राणी हैं. हमारे लिए इस जग में कुछ भी असंभव नहीं है,पर फिर भी बस एक औसत जीवन जी के हम इतने बड़े मौके को गँवा देते हैं.
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आप मुर्गी की तरह मत बनिए , अपने आप पर ,अपनी काबिलियत पर भरोसा कीजिए. आप चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचानिए और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर  दिखाइए  क्योंकि यही आपकी वास्तविकता है.

मंगलवार, 13 मार्च 2018

काबिलियत का महत्त्व

एकबार एक टीचर क्लास में पढ़ा रहे थे| बच्चों को कुछ नया सिखाने के लिए टीचर ने जेब से 500 रुपये का एक नोट निकाला| अब बच्चों की तरफ वह नोट दिखाकर कहा – क्या आप लोग बता सकते हैं कि यह कितने रुपये का नोट है ?
सभी बच्चों ने कहा – “500 रुपये का”
टीचर – इस नोट को कौन कौन लेना चाहेगा ? सभी बच्चों ने हाथ खड़ा कर दिया|
अब उस टीचर ने उस नोट को मुट्ठी में बंद करके बुरी तरह मसला जिससे वह नोट बुरी तरह कुचल सा गया| अब टीचर ने फिर से बच्चों को नोट दिखाकर कहा कि अब यह नोट कुचल सा गया है अब इसे कौन लेना चाहेगा ?
सभी बच्चों ने फिर हाथ उठा दिया।
अब उस टीचर ने उस नोट को जमीन पर फेंका और अपने जूते से बुरी तरह कुचला| फिर टीचर ने नोट उठाकर फिर से बच्चों को दिखाया और पूछा कि अब इसे कौन लेना चाहेगा ?
सभी बच्चों ने फिर से हाथ उठा दिया|
अब टीचर ने कहा कि बच्चों आज मैंने तुम लोग को एक बहुत बड़ा पाठ पढ़ाया है| ये 500 रुपये का नोट था, जब मैंने इसे हाथ से कुचला तो ये नोट कुचल गया लेकिन इसकी कीमत 500 रुपये ही रही, इसके बाद जब मैंने इसे जूते से मसला तो ये नोट गन्दा हो गया लेकिन फिर भी इसकी कीमत 500 रुपये ही रही|
ठीक वैसे ही इंसान की जो कीमत है और इंसान की जो काबिलियत है वो हमेशा वही रहती है| इसलिए सबसे जरुरी है कि अपनी कीमत या बोले तो काबिलियत को बढ़ाने पर विशेष ध्यान देना चाहिए . हमारी काबिलियत ही किसी भी विपरीत परिस्थिति से निकालने में सहायता करता है . हमारे ऊपर चाहे कितनी भी मुश्किलें आ जाएँ, चाहें जितनी मुसीबतों की धूल हमारे ऊपर गिरे लेकिन हमारी अपनी कीमत नहीं गंवानी है| 

सोमवार, 12 मार्च 2018

मल्टी लेवल मार्केटिंग / नेटवर्क मार्केटिंग / डायरेक्ट सेल कम्पनी से जुड़ने के फायदे


मल्टी लेवल मार्केटिंग / नेटवर्क मार्केटिंग / डायरेक्ट सेल कम्पनी से जुड़ने के फायदे
Benefits of join MLM / Network marketing / direct sale company in hindi
1.      नेटवर्क मार्केटिंग में समय लगाना और सिखना जिन्दगी की सफलता में बहुत अहम भूमिका निभाता है .
2.      नेटवर्क मार्केटिंग में पैसे इन्वेस्ट दुसरे सभी व्यापार के मुकाबले सबसे कम होता है और इसमें नुक्सान का डर भी नहीं होता है।
3.      नेटवर्क मार्केटिंग एक ऐसी कंपनी या प्लेटफॉर्म है जहां आप बहुत कम उम्र में बहुत कुछ ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
4.      नेटवर्क मार्केटिंग से जुड़ने पर आपको इतना सम्मान मिलेगा जितना एक बड़े नेता को भी नहीं मिलता है।
5.      अगर नेटवर्क मार्केटिंग में आप एक बार अच्छी मेहनत करके अपना एक अच्छा ग्रुप / टीम बना लेते हैं तो जीवन भर आपकी कमाई होती रहेगी।

6.      अच्छी नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियां हमेशा अपने काम करने वाले लोगों को मोटिवेशनल ट्रेनिंग तथा सकारात्मक विचार प्रदान करने की कोशिश करते हैं।
7.      अगर आप एक अच्छे नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी से जुड़े हुए हैं तो भले ही आप उस नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी में सफल या असफल हो जाए लेकिन आप उस कंपनी से मिले ज्ञान की मदद से अपने जीवन में किसी ना किसी क्षेत्र में जरूर सफलता प्राप्त करेंगे।
8.      एक सही नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी से जुड़ने पर धीरे-धीरे हर किसी काम करने वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व विकास होता है और उसे बहुत ज्यादा प्रेरणा भी मिलती है जिससे वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने की ताकत रखता है।
9.      नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियां अपने ट्रेनिंग के माध्यम से मन से नकारात्मक भावनाओं को निकाल देते हैं और सकारात्मक भावनाओं को दिन रात भरने की कोशिश करते हैं जो हर व्यक्ति के लिए एक अच्छी बात है।
10. दुनिया में नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियां ही ऐसी कंपनियां होती हैं जहां बिना किसी कमाई के लोग इतना प्रेरित रहते हैं जबकि सरकारी या गवरमेंट नौकरी करने वाले व्यक्ति अच्छे वेतन, और आराम से रहने पर भी इतने प्रेरित और लगन से अपना काम नहीं करते हैं।
11. अगर आपको स्टेज चढ़ने पर डर लगता है, लोगों से बात करने में डर लगता है तो किसी ना किसी अच्छे नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी से भले ही कुछ दिनों के लिए जरुर जुड़ें क्योंकि इससे जुड़ने के बाद आपके यह सब डर दूर हो जायेंगे और आपका आत्मविश्वास भी बढ़ जाएगा।
12. नेटवर्क मार्केटिंग की एक और सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप अपने मनचाहे समय में इसमें काम कर सकते हैं।
13. नेटवर्क मार्केटिंग में उम्र, जाति, लिंग, समुदाय या शिक्षा का उतना महत्व नहीं होता है जितना कि उस कंपनी से मिले हुए ट्रेनिंग का महत्व होता है। अगर आपने उस कंपनी द्वारा दिए गए ट्रेनिंग को अच्छे से सीखते हैं समझते हैं तो वही काफी है।
14. नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी के ट्रेनिंग लेते है तो आप एक सामाजिक व्यक्ति बनते है.
15. नेटवर्क मार्केटिंग कम्पनी में काम करने का मतलब आप लगभग आल राउंडर बन जाते है , जो किसी भी समस्या से निपटने में सहायक होता है.

गधा का घोड़ा पर हुकूमत कैसे


एक बार की बात है की जंगल में बहुत से गधे और घोड़े रहते थे। वहा पर गधे और घोड़े की आबादी बढ़ रही थी। कुछ गधे और कुछ घोड़े ने मिलकर विचार किये की हम कही और जाकर रहेंगे। कुछ गधे और कुछ घोड़े उस जंगल से निकल गये, दूसरे जगह पर जाकर रहने लगे। कुछ नये नये गधे घोड़े के साथ रहने लगे। और उनका हर तौर तरीका सिखाने लगे। कुछ दिन के बाद काफी कुछ सिख चुके थे। अब इन गधो को गलत फहमी हो गई की वो अपने आप को घोडा समझने लगे। दूर से देखने पर वो सभी गधे घोड़े जैसा मालूम पड़ते थे। लेकिन जब वो बोलते थे तो मालूम पड़ जाता था कि वो घोड़े नहीं गधे है। जो गधे अपने आप को घोडा समझते थे। अब नये नये घोड़े को ये सिखाने लगे की घोडा ढेंचू ढेंचू बोलता है। जब ये बात घोडा के समूह को मालूम हुआ तो वो सभी मिलकर उन गधो को समझाने लगे की आप जो सीखा रहे है सही है, लेकिन आप घोड़े को ढेंचू ढेंचू बोलना तो मत सिखाये। घोडा हिनहिनाता है ढेंचू ढेंचू नहीं बोलता है। लेकिन वो बात नहीं माने और समूह से अलग हो गए। और बोलने लगे की हम घोड़े पर गधे हुकूमत करना चाहते है।
इसी तरह से हर इंडस्ट्री में लोग मिल जायेंगे। जो थोडा बहुत जानकारी होते ही अपने आप को घोडा मानने लगते है। और जो सिखाया उसको गधा मानने लगते है। जब वो सिखा रहा था तो उस समय सर कहके बुलाते और थोडा सा सिख जाने के बाद बोलते है। हम घोड़ों पर गधे हुकूमत करना चाहते है।