रविवार, 29 अप्रैल 2018

विवेकानंद के सफलता के सूत्र

हर इंसान की नज़र में सफलता और असफलता की परिभाषा अलग अलग होती है, उसके मायने अलग अलग होते है. यानि सीधे सीधे कहे तो हर इंसान का एक अलग नजरियां होता है.

हर इंसान सफल होना चाहता है और सफलता प्राप्त करने के लिए भागादौड़ी करता है. क्षेत्र चाहे कोई भी हो हर कोई चाहता है की वह उसमे महारत हासिल करे.
लेकिन  कुछ समय उस दिशा में चलने के बाद मन में हताशा पैदा होती है. फिर उस हताशा को मिटाने के लिए हम कई चीजो का सहारा लेते है जैसे motivational speech, motivational stories, quotes  और भी बहुत कुछ. और फिर जोश के साथ अपने काम में लग जाते है. लेकिन फिर कुछ समय बात वही निराशा. सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है जब मेहनत करने के बाद भी हम अपने लक्ष्य में कामयाब नहीं हो पाते. ऐसा क्यों होता है?? वह क्या चीज है जो कड़ी मेहनत और लगन के बावजूद भी हमारे लक्ष्यों में बाधा उत्तपन करती है?


इसका जवाब आपको हम स्वामी विवेकानंद की एक कहानी के द्वारा देने की कोशिश करेंगे.

एक बार स्वामी विवेकानंद के पास एक आदमी आया जो बहुत उदास और परेशान था. उसने विवेकानंद से कहा की मै हर काम मन लगा के पूरी मेहनत के साथ करता हूँ.लेकिन उसमे कभी पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पाया. मेरे साथ के कई लोग उस काम को पूरा करके मुझसे आगे निकल चुके है लेकिन में कहीं न कहीं अटक जाता हूँ. मुझे मेरी समस्या का कोई समाधान बताएं.

विवेकानंद बोले – जाओ पहले मेरे पालतू कुते को घुमा के लाओ. तुम्हे तुम्हारे सवाल का जवाब मिल जायेगा. कुछ देर बाद जब वह आदमी कुत्ते को लेकर वापस आया तो उसके चेहरे पर अब भी उत्सुकता और स्फूर्ति थी जबकि कुत्ता पूरी तरह से थक चूका था. विवेकानंद ने उस व्यक्ति से पूछा की तुम अब भी नहीं थके लेकिन यह कुत्ता कैसे इतना थक गया. वह बोला – स्वामी जी मैं तो पुरे रास्ते सीधा सीधा चलता रहा लेकिन यह कुत्ता गली के हर कुत्ते के पीछे भोकता और भागता और फिर मेरे पास आ जाता. इसलिए सामान रास्ता होने के बावजूद यह मुझसे ज्यादा चला और थक गया.

विवेकानंद ने कहा की इसी में तुम्हारे सवाल का जवाब है. तुम और एक सफल व्यक्ति दोनों एक सामान  रास्ते पर चलते है और बराबर मेहनत करते है  लेकिन तुम बीच बीच में अपनी तुलना दुसरो से करते हो, उनकी देखा देखी करते हो और उनके जैसा बनने और उनकी आदते अपनाने की कोशिश करते हो जिसकी वजह से अपनी खासियत खो देते हो और रास्ते को लंबा बना कर थक जाते हो . यह थकान धीरे धीरे हताशा में बदल जाती है.

इसलिए अगर किसी काम में पूरी तरह कामयाब होना चाहते हो तो उसे लगन और मेहनत के साथ अपने तरीके से करो न की दूसरे की देखादेखी से या उनके साथ अपनी तुलना करके. आप दुसरो से प्रेरणा ले सकते है या उनसे कुछ सिख सकते है लेकिन उनकी नक़ल, करके या उनसे ईर्ष्या करके अपनी रचनात्मकता को खोते है. दुसरो से कभी होड़ न लगाए. अपनी गलतियों से कुछ सीखे. सफलता और असफलता अपने आपमें कुछ भी नहीं है. सफल एक गरीब भी हो सकता है और असफल एक अमीर भी. यह हमारा दृष्टिकोण तय करता है. इसलिए अपने लक्ष्य खुद बनाये और उन पर सीधा चले ताकि रास्ता लंबा न हो पाए.

मीठी वाणी का प्रभाव

एक राजा थे। बन-विहार को निकले। रास्ते में प्यास लगी। नजर दौड़ाई एक अन्धे की झोपड़ी दिखी। उसमें जल भरा घड़ा दूर से ही दीख रहा था। राजा ने सिपाही को भेजा और एक लोटा जल माँग लाने के लिए कहा। सिपाही वहाँ पहुँचा और बोला - "ऐ अन्धे एक लोटा पानी दे दे।" अन्धा अकड़ू था। उसने तुरन्त कहा - "चल-चल तेरे जैसे सिपाहियों से मैं नहीं डरता। पानी तुझे नहीं दूँगा।" सिपाही निराश लौट पड़ा। इसके बाद सेनापति को पानी लाने के लिए भेजा गया। सेनापति ने समीप जाकर कहा - "अन्धे! पैसा मिलेगा, पानी दे।" अन्धा फिर अकड़ पड़ा। उसने कहा - "पहले वाले का यह सरदार मालूम पड़ता है। फिर भी चुपड़ी बातें बना कर दबाव डालता है, जा-जा यहाँ से पानी नहीं मिलेगा।" सेनापति को भी खाली हाथ लौटता देखकर राजा स्वयं चल पड़े। समीप पहुँचकर वृद्ध जन को सर्वप्रथम नमस्कार किया और कहा - "प्यास से गला सूख रहा है। एक लोटा जल दे सकें तो बड़ी कृपा होगी।" अंधे ने सत्कारपूर्वक उन्हें पास बिठाया और कहा - "आप जैसे श्रेष्ठ जनों का राजा जैसा आदर है। जल तो क्या मेरा शरीर भी स्वागत में हाजिर है। कोई और भी सेवा हो तो बतायें।" राजा ने शीतल जल से अपनी प्यास बुझाई फिर नम्र वाणी में पूछा - "आपको तो दिखाई पड़ नहीं रहा है फिर जल माँगने वालों को सिपाही सरदार और राजा के रूप में कैसे पहचान पाये?" अन्धे ने कहा - "वाणी के व्यवहार से हर व्यक्ति के वास्तविक स्तर का पता चल जाता है।" दोस्तों, हमेशा याद रखिये कि वाणी में इतनी शक्ति होती है कि कड़वा बोलने वाले का शहद भी नहीं बिकता और मीठा बोलने वाले की मिर्ची भी बिक जाती है। वास्तव में मीठी वाणी बोलना न सिर्फ अपने, बल्कि दूसरों के कानों को भी सुकून देता है। किसी ने सत्य ही कहा है - जरूरी नहीं कि आप केवल मिठाई खिलाकर दूसरों का मुंह मीठा करें, आप मीठा बोलकर भी लोगों का मुंह मीठा कर सकते हैं।

शहद-एक उपयोगी औषधि (Benefits of Forever Bee Honey)

शहद जिसे धरती का अमृत भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का पचापचाया भोजन होता है, जिसे शरीर को पचाने में ज्यादा उर्जा नहीं लगता है। साथ ही यह खनिजो से भरपूर है। शहद बहुउपयोगी माना जाता है। विशेष रूप से फॉरएवर बी हनी (शहद) जिसे स्पेन के उच्ची पहाडीयों पर प्रदुषण रहित वातावरण में विभिन्न औषधीय पौधें के बीच किया जाता है, जिसके कारण 100% शुद्ध एवं प्राकृतिक शहद प्राप्त होता है। आइये देखते है इसके क्या-क्या लाभ हो सकते है।
Benefits of Forever Bee Honey


1. शहद के साथ ब्राह्मी के पत्तों के सेवन से मिरगी केदौरे आना बंद होता हैं।
2. प्रतिदिन तीन बार एक-एक चम्मच शहद एक गिलास पानी में मिलाकर पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
3. शहद को घोडा बच के साथ मिलाकर दिन में दो बार सेवन से क्रोध शांत होने लग जाता है। शहद के साथ गिलोय का रस मिलाकर दिन में दो बार सेवन से पित्त द्वारा उत्पन्न क्रोध शांत होने लगता है।
4. हृदय की घबराहट, कमजोरी जब महसूस हो तो गुनगुने पानी में शहद घोलकर दिन में दो-तीन बार नियमित सेवन करें।
5. शहद हृदय शक्ति के लिए औषधियों में सर्वोत्तम हैं हृदय फेल होने से बचाता है। जब हृदय की धड़कन बढ़ जाये, दम घुटने लगे तो शहद सेवन करने से (दिल की कमजोरी, दिल का बैठना आदि ) हृदय सबल व मजबूत बनता है।
6. काली मिट्टी में शहद डालकर फोड़े-फुंसिया पर लगाने से फायदा होता है।
7. उच्चरक्तचाप कम करने के लियें शहद का प्रयोग लगभग एक सप्ताह तक करें।
8. शहद को गुनगुने पानी से एक डेढ़ माह तक नियमित सेवनसे से हर प्रकार के चमड़ी रोग (दाद- खाज-खुजली चकते एवं कोढ़ के रोग भी ) ठीक हो जाते है।
9. शहद में 1 /4 ग्राम शुद्ध गन्धक को मिलाकर खाने से खुजली पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
10. शहद में कलौंजी का चूर्ण मिलाकर चाटने से याददास्त तेज होती है।
11. 30 ग्राम शहद के साथ 20 ग्राम घी मिलाकर भोजन के बाद नित्य सेवन से याददास्त तेज होती है। (सावधानी:मात्रा का विशेष ध्यान रखे, समान मात्रा में घी और शहद जहर होता है )
12. शहद और पीपल चूर्ण छाछ के साथ पीने से छाती के दर्द में लाभ मिलता है।
13. शहद के साथ लगभग 1 /4 भाग चांदी की भस्म सुबह और शाम को लेने से बुद्धि के विकास में वृद्धि होती है।
14. शहद का सेवन खाने के बाद के पेट दर्द समाप्त होते है। पानी से शहद मिलाकर पीने से भी पेट दर्द में राहत आती है।
15. शहद के साथ लगभग 1 /4 भाग जटामांसी का चूर्ण रोगी को सुबह और शाम देने से कम्पन के दोरों में (कंपकंपाना) लाभ मिलता हैं।
16. जिस ओर सिर में दर्द हो रहा हो उसके दूसरी ओर के नाक के नथुने में एक बूंद शहद डालने से आधे सिर के दर्द में आराम मिलता है।
17. रोजाना भोजन में शहद लेने से आधे सिर दर्द में आराम व उल्टी बंद हो जाती हैं।
18. शहद या गुड़ के साथ पके हुए गूलर के फल खाने से नकसिरी बंद हो जाती है।
19. नींबू का रस और शहद को सामान मात्रा में मिलाकर रात को सोने से पहले सेवन करे नींद खुले तब पुन: ले पानी के साथ शहद डालकर पीने से भी अच्छी नींद आ जाती है।
20. शहद चाटने से या शहद को पानी में मिलकर दिन में दो बार पीने से पेट के कीड़े मर जाते है।
21. शहद का रोज दूध में मिलाकर सेवन करने से कमजोरी दूर होकर सामान्य मोटापा बढ़ता हैं।
22. शहद में लगभग 2 ग्राम पोस्ता पीसकर या शहद में लगभग 10 ग्राम बहेड़ा चूर्ण मिलाकर सुबह शाम सेवन करने से अच्छी नींद आती है।
23. चूना और शहद को अच्छी तरह से मिलाकर फोड़े पर लगाने से आराम आता है।
24. शहद में 1 / 4 भाग केसर मिलाकर या शहद और त्रिफला सामान मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम सेवन से शीतपित्त में लाभ मिलता है।
25. शहद को मुंह में भरकर कुछ देर तक रखकर कुल्ला करें। इससे तेज प्यास शांत हो जाती है।
26. अधिक तेज प्यास को शांत करने के लिए शहद को मुंह में 10 मिनट तक रखें और कुल्ला कर दें। पानी में शहद मिलाकर पीने से गले की जलन व प्यास मिटती है।
27. मोच या चोट के स्थान पर शहद और चूना मिलाकर लेप करे और इसका असर स्वयं देखे ।
28. शहद में चुटकी भर अफीम घिसकर चाटने से पेचिश का रोग दूर हो जाता है।
29. एक कप शहद पानी में मिलाकर एक माह तक सेवन करने से शरीर का लकवा ठीक हो जाता है।
30. शहद और दूध मिलाकर पीने से नपुंसकता (वीर्य) की कमी दूर होती है। और शरीर बलवान होता है।
31. शहद में काला नमक और नींबू का रस मिलाकर सेवन करनेसे हिचकी में आराम आता है।या प्याज के रस में शहद मिलाकर या सिर्फ शहदको उंगली से चाटने से भी हिचकी बंद हो जाती है।
32. गर्भावस्था में महिलाओं के लिए शहद आवश्यक टानिक है महिलाओं को चाहिए की ( गर्भधारण के शुरू से ही या अंतिम तीन महीनों में) दो चम्मच शहद का दूध के साथ नियमित सेवन करने से रक्त की कमी दूर होकर शारीरिक शक्ति बढ़ती है और बच्चा ह्रष्ट पुष्ट बुद्धिमान और सुन्दर होता है।
33. निमोनिया रोगी के शरीर की पाचन-क्रिया ध्वस्त हो जाती है इसके लिए सीने तथा पसलियों पर शुद्ध शहद की मालिश करें और थोड़ा सा शहद गुनगुने पानी में मिलाकर निमोनिया रोगी को पिलाये।
34. छोटी मक्खी का शहद, अदरक का रस, नींबू का रस और सफेद प्याज का रस इन सबको मिलाकर और छानकर एक बूंद हर शाम आंखों में डालते रहें इससे मोतियाबिंद दूर हो जाता है।और इसमे गुलाब जल डालकर रोजाना आँखों में डालने से आंखों की रोशनी तेज होकर चश्मा हट जाता है।
35. शुद्ध शहद हफ्ते मे 1 से 2 बार डालने से आंखों की रोशनी कभी कम नही होती, बल्कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ तेज होती है । साथ ही चार पांच बादाम रात को भिगो दे सुबह उठते ही चार पांच काली मिर्च और मिश्री के साथ पीसकर चाटे या चबाकर और ऊपर से दूध पी लें ।
36. शहद या एरण्ड तेल (कस्टर आयल) की 1 से 2 बूंद आंखोंमे डालने से आंख में गिरी हुई चीज बाहर आ जायेगी और आंखों की चुभन दूर हो जायेगी।
37. स्त्री-संग सम्भोग से एक घण्टा पहले पुरुष की नाभि में शहद लगाये पुरुष का जल्दी स्खलन नही होता औरलिंग शिथिल नहीं पड़ता।
38. शहद और अदरक का रस समान मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम के सेवन से जुकाम ठीक हो जाता है और भूख भी बढ़ जाती है।
39. एक गिलास गुनगुने दूध में 2 चम्मच शहद और आधे चम्मच मीठे सोडे को एक साथ मिलाकर दिन में दो बार पीने से जुकाम,फ्लू ठीक हो जाता है।यह मिश्रण पीते वक्त सुरक्षित कमरे में होना चाहिए जंहा बाहरी हवा न लगे क्योंकि इससे रोगी को बहुत पसीना आता है जिसमे हवा का लगना नुकसानदायक हो सकती है।
40. शहद में सेंधानमक और हल्दी को एक कप पानी में डालकर उबाल लें। गुनगुना होने पर सोते समय पीने से जुकाम ठीक होता है।
41. शहद में गुड़ मिलाकर या केवल शहद को चाटने से उल्टी बंद हो जाती है।
42. शहद में लौंग चूर्ण मिलाकर चाटने से गर्भावस्था के समय आने वाली उल्टी से छुटकारा मिल जाता है।
43. काली खांसी के लिए सबसे पहले कब्ज को दूर करे उसकेबाद सौंफ, धनियां तथा अजवायन को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसका दिन में तीन बार सेवन करना चाहिए।इससे कब्ज दूर होती है। तथा शहद में लौंग के तेल की एकबूंद तथा अदरक के रस की दस बूंदे मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करे।
44. पायरिया के लिए शहद की मसूढ़ों तथा दांतों पर मालिश करे या नींबू का रस, नीम का तेल तथा शहद मिलाकर या शहद में लहसुन, करेला, अदरक का रस मिलाकरमसूढ़ों कीमालिश करके गुनगुने पानी से कुल्ला करे। इससे पायरिया तथा मसूढ़ों के रोग खत्म हो जाते हैं।
45. गले के बैठ जाने पर मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ चाट़े या फूली हुई फिटकरी चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करें। इसमें पानी मिलाकर कुल्ला किया जा सकता है।
46. बहेड़ा के चूर्ण को शहद के साथ सुबह और शाम सेवन करने से या गुनगुने पानी में शहद मिलाकर गरारे करने से भी आवाज खुल जाती है।
47. शहद में हल्दी पाउडर, अजवायन और सौंठ को मिलाकर सेवन करें तथा सोने से पहले अजवायन का तेल छाती पर मलें।
48. ताजे पानी से आंखों को सुबह नियमित धोए दो बूंदे नीम का रस तथा दुगना शहद मिलाकर आंखों में लगाए। गिलोय का रस तथा शहद को मिलाकर आँखों में लगायें या गिलोय का रस और आधी मात्रा में शहद मिलाकर और आंखों में नियमित लगायें। अथवा शहद, सफ़ेद प्याज का रस, अदरकका रस और निम्बू का रस को समान मात्रा में मिलाकर हर शाम आंखों में लगाकर सो जांए। आंखों की खुजली, दर्द, मोतियाबिंद आदि सभी रोगों के लिए यह उपयोगी है। शहद को आंखों में लगाने से रतौंधी रोग दूर होता है। आंखोंकी रोशनी भी बढ़ती है।
49. तवे पर सुहागे को फुलाकर शहद के साथ छालों पर लगाना चाहिए। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
50. शहद में छोटी इलायची चूर्ण मिलाकर मुंह के छालों पर लगायें।
51. फिटकरी को पानी में घोल कर शहद के साथ मिलाकर कुल्ला करें। यह कुल्ला भोजन करने से पहले सुबह, दोपहर तथा शाम को करना चाहिए।
52. त्रिफला चूर्ण शहद के साथ ले या केवल आंवले का चूर्ण शहद के साथ लेने से भी पेट की गर्मी शांत हो कर मुंह के छाले ठीक होने लगते हैं।
53. आंख में जलन के लिए शहद के साथ निबौंली (नीम का फल)का गूदा मिलाकर आंखों में काजल की तरह लगना चाहिए।
54. शुद्ध शहद को सलाई या अंगुली की सहायता से काजल कीतरह आंख में लगायें। या सिर पर शुद्ध शहद का लेप करें ।
55. शहद में दुगनी मात्रा में देशी घी मिलाकर सिर पर लगाए। और सूखने से पहले दोबारा दर्द ठीक होने तक फिर से लगाये । साथ ही थोड़ा शहद चाटीए या भोजन के साथ शहदलेने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
56. पेट की खराबी, सर्दी या गर्मीके कारण सिर दर्द हो तो नींबू के रस में शहद को मिलाकर माथे पर लेप करे ।अथवा शहद में थोडा चूना मिलाकर माथे के दर्द वाले भाग लगा देने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
57. सौंफ, धनियां तथा अजवायन बराबर मात्रा में लेकर तीनों के पिसे चूर्ण को शहद के साथ प्रतिदिन तीन बार सेवन करने से कब्ज दूर होती है। धनिये तथा जीरे का चूर्ण बना लें और शहद में मिलाकर चाटीए इससे अम्लपित्त समाप्त होता है। सौंठ, कालीमिर्च, पीपल, सेंधानमक इन सब का चूर्ण या दो कालीमिर्च तथा दो लौंगके चूर्ण को दिन में तीन बार शहद के साथ चाटने से भूख लगना प्रारम्भ हो जाता है।
58. अजवायन का चूर्ण को शहद के साथ दिन में तीन बार लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। 

गुरुवार, 19 अप्रैल 2018

मार्केटिंग में कामयाब होने वाले लोग निम्न 20 तथ्य जरूर करते है

मार्केटिंग में कामयाब होने वाले लोग निम्न 20 तथ्य जरूर करते है :-

१. जो लोग Target बनाकर काम करते है.
२. जो लोगों की List बनाते है.
३. जो लोगों को Meeting और Seminar के लिये Invite करते है.
४. जो लोगों को खुद्द Plan दिखाते है, Upline से नही दिखवाते.
५. जो लोगों को सही जानकारी देकर Joining कराते है.
६. जो लोगों को काम कराना सिखाते है. Team Work करते है.
७. जो हमेशा सफल लोगों कि बाते सुनते और मानते है.
८. जो लोग कभी भी काम न करने का बहाना नही बनाते.
९. जो लोग कभी भी कोई भी सिखने का मौका नही छोडते.
१०. जिनकी पहली Priority कामयाबी होती है.
११. जो हमेशा कामयाबी के लिये सोचते है.
१२. जो हमेशा सकारात्मक बाते सुनते है, करते है और सोचते है.
१३. जो हमेशा Positive Mental Attitude की किताब पढते है.
१४. जो रोज Motivational Videos देखते है.
१५. जो कभी असफलता कि बातें नही करते. हर काम में सकारात्मकता ढूंढ लेते है.
१६. जो Time पर Punctual होते है.
१७. जो हमेशा Energetic रहते है.
१८. जिनकी Dressing हमेशा Professional होती है.
१९. जिनकी Body Language एक सफल व्यक्ती जैसी होती है.
२०. जो अपनी स्वास्थ्य पर भी ध्यान रखते है।

रविवार, 15 अप्रैल 2018

हर मौके को स्वर्ण में बदला

एक गाँव में एक मारवाड़ी रहता था, उसकी ख्याति दूर दूर तक फैली थी।
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एक बार वहाँ के राजा ने उसे चर्चा पर बुलाया। काफी देर चर्चा के बाद राजा ने कहा –
“आप बहुत बड़े  सेठजी है, इतना बड़ा कारोबार है, पर आपका लड़का इतना मूर्ख क्यों है ? उसे भी कुछ सिखायें। उसे तो *सोने चांदी में मूल्यवान क्या है यह भी नहीं पता॥”* यह कहकर राजा जोर से हंस पड़ा..

मारवाड़ी को बुरा लगा, वह घर गया व लड़के से पूछा “सोना व चांदी में अधिक मूल्यवान क्या है ?”
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बिना एक पल भी गंवाए उसके लड़के ने कहा - सोना ।।
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“तुम्हारा उत्तर तो ठीक है, फिर राजा ने ऐसा क्यूं कहा-? सभी के बीच मेरी खिल्ली भी उड़ाई।”
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लड़के के समझ मे आ गया, वह बोला “राजा गाँव के पास एक खुला दरबार लगाते हैं,
जिसमें सभी प्रतिष्ठित व्यक्ति  शामिल होते हैं। यह दरबार मेरे स्कूल जाने के मार्ग मे ही पड़ता है।
मुझे देखते ही बुलवा लेते हैं, अपने एक हाथ में सोने का व दूसरे में चांदी का सिक्का रखकर, जो अधिक मूल्यवान है वह ले लेने को कहते हैं...

*और मैं चांदी का सिक्का ले लेता हूं। सभी ठहाका लगाकर हंसते हैं व मज़ा लेते हैं। ऐसा तक़रीबन हर दूसरे दिन होता है।*
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“फिर तुम सोने का सिक्का क्यों नहीं उठाते, चार लोगों के बीच अपनी फजिहत कराते हो व साथ मे मेरी भी❓”
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लड़का हंसा व हाथ पकड़कर पिता  को अंदर ले गया और अलमारी से एक पेटी निकालकर दिखाई जो चांदी के सिक्कों से भरी हुई थी।
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यह देखकर मारवाड़ी सेठजी हतप्रभ रह गया।
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*लड़का बोला “जिस दिन मैंने सोने का सिक्का उठा लिया उस दिन से यह खेल बंद हो जाएगा।*
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वो मुझे मूर्ख समझकर मज़ा लेते हैं तो लेने दें, यदि मैं बुद्धिमानी दिखाउंगा तो कुछ नहीं मिलेगा। मारवाड़ी का बेटा हुं, अक़्ल से काम लेता हूँ
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👉🏼 *मूर्ख होना अलग बात है*
*और मूर्ख समझा जाना अलग..*

स्वर्णिम मॊके का फायदा उठाने से बेहतर है, हर मॊके को स्वर्ण में तब्दील करना।

बुधवार, 4 अप्रैल 2018

PHASES OF INDUSTRIES


Network Marketing आने वाले समय या कहे तो नये जमाने का Business है. जैसे Amazon, Flipkart etc. कंपनिया का ना ही वो विक्रेता होता है और ना ही क्रेता होता है, Ola या Uber Cab जिसकी ना ही अपनी गाड़ी होती है और न ही अपना सवारी होता है फिर भी ये कंपनिया Top Earning कंपनियों में से एक है. जो केवल sharing के बदौलत income करती है. आपको शायद सुनने में अजीब लगे लेकिन ये हक़ीक़त बहुत जल्द आप लोगों के सामने आने वाली है। ये बात मैं हवा में नहीं कह रहा हूँ। इस बात में 100% सच्चाई है। Network Marketing पूरी दुनिया में बहुत तेज़ी से grow कर रही है। और जब तक दुनिया में लोग रहेंगे तब तक ये business चलता रहेगा। क्यूँकि लोगों से ही यह business चलता हैं।

कोई इस business को फ़साने वाला बिज़नेस कहता है, कोई इसे बेवकूफ बनाने वाला काम कहता है, कुछ इसे फालतू लोगों का काम समझते हैं और कोई इसे time waste मानता है। इसमें मैं किसी को दोष भी नहीं देता। इसका simple सा reason है अभी Network Marketing की proper knowledge लोगों तक नहीं पहुँच पायी है।
पढ़े: नेटवर्क मार्केटिंग / डायरेक्ट सेलिंग  
दुनिया में कुछ काम ऐसे भी होते हैं जो लोगों को आसानी से समझ नहीं आते। for example “आज हमलोग पुरे दिन में ना जाने कितनी बार Facebook पे chatting करते हैं और हम से कोई पैसे भी नहीं लिए जाते, फिर भी कमाई के मामले में Facebook का नाम top 10 websites में आता है।कई लोगों ये बात समझ में नहीं आती होगी कि Facebook कमाई भी करता होगा या अगर किसी को पता भी होगा तो उसका reason ही नहीं पता होगा कि income कैसे और कहाँ से होता है।
चलिए दोस्तों सबसे पहले ये समझना बहुत ज़रूरी है कि कोई भी industry बनती कैसे है और चलती कैसे है। अगर ये चीज़ आपको समझ आ गयी तो आपको ज्यादा कुछ deep में जाने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। पहले ये जानना बहुत ज़रूरी है कि कोई भी industry बनती कैसे ?????
PHASES OF INDUSTRIES
दुनिया में हरेक industry को 4 phase से गुजरना पड़ता है, और दुनिया के हरेक उद्योग ऐसे ही बने थे और और आगे भी ऐसे ही बनेंगे।
1.     Negative Phase
2.     Positive Phase
3.     Growth Phase
4.     Normal Phase
अब इनके बारे में थोड़ा detail से समझ लेते हैं।
1- Negative Phase
हर industry की शुरुआत negative phase से ही होती है, ये वो दौर होता है जब कोई नया business model market में आता है but लोगों को समझ नहीं आता। और वे इसे नकार देते हैं।और trust करना इतना आसान भी तो नहीं होता। मन में एक question आता है नयी चीज़ है क्या पता चले ना चले। For example “शुरुआत में जब banking शुरू हुयी थी तो लोगों को bank पे बिल्कुल भी ट्रस्ट नहीं था। उनको लगता था bank हमारे पैसे ले के कभी भी भाग सकता है। अपने पैसे को घर में रखना ही safe मानते थे
“Insurance Sector
को लोगों ने आते ही ignore कर दिया था, वजह था trust की कमी। और reason भी जायज़ था। जब तक किसी ने insurance करवा के इसका लाभ ना लिया तब तक कोई यकीन कैसे कर सकता था।
और भी बहुत सारे example हैं like IT industry, Telecom sector, Online Shopping and many more. ऐसे बहुत से example हैं जिन्हे लोगों ने आते ही नाकह दिया था।
2- Positive Phase
ये वो time होता है जब लोगों को इस industry पे trust होना शुरू हो जाता है। अब लोग उस business model को accept करना शुरू कर देते हैं। उनका नज़रिया positive होने लगता हैं। इसका सबसे बड़ा reason होता है result दिखना। जब लोगों के सामने result आने शुरू हो जाता है तो लोगों का trust अपने आप बढ़ने लगता है। और वही लोग इसमें दिलचस्पी दिखाने लगते हैं जो पहले इसे ignore कर रहे थे।
Bank
पे लोगों को तब trust हुआ होगा जब किसी रिश्तेदार, दोस्त या पड़ोसी ने bank में पैसे रखे होंगे और उनको safety के साथ साथ interest भी मिला होगा। Insurance की value तब पता लगी होगी जब किसी दोस्त की दुर्घटना के बाद उसके घरवालों को insurance का पैसा मिला हो।
3- Growth Phase
एक बार किसी industry पे trust होने के बाद तो उस industry की growth बहुत जल्दी और बहुत ज्यादा हो जाती है। अब किसी को industry के बारे में ज्यादा कुछ बताने या समझाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ये वह time होता है जब लोग उस industry में invest या काम करना चाहते है। नतीजा यह होता है business अपनी पूरी speed से grow होना शुरू हो जाता है। Maximum लोग industry के growth phase में आने के बाद काम शुरू करते हैं।
4- Competition Phase
यह एक ऐसा वक़्त होता है जब उस industry में competition बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। अब maximum लोग industry की growth देखकर इसमें काम करना शुरू कर देते हैं। ज्यादा लोगों के काम करने से ज्यादा profit के लिए सब एक दूसरे से competition करने लगते हैं।
आज maximum sectors में competition हो रहा है। चाहे Bank हो, Insurance sector हो, Telecom हो या Online Shopping हर जगह competition शुरू हो चुका है।
Industry choose करने का सही time कौन सा है ?
अगर मेरी राय की बात करें तो मैं किसी भी industry में काम करने का सबसे सही टाइम Negative phase को मानता हूँ। क्यूँकि यही वो time होता है जब आपके साथ competition करने वाले ज्यादा लोग नहीं होते और grow करने का scope भी बहुत ज्यादा होता है। जब कोई industry negative zone में हो और सब इसे नकार रहे हो तो एक बार इस sector को deeply समझने की कोशिश ज़रूर कीजिये। इसके आगे growth के chances पे research करके ही कोई भी decision लेना सही होता है।
किसी ने negative phase में किसी industry में entry की और काम करना शुरू किया और एक टाइम बाद जब industry की अच्छी growth हो जाय तो उस person को कितनी बड़ी success मिलेगी। ये समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है।
Network Marketing बिज़नेस क्यों ??
Network marketing business अभी negative phase में है। इसके बाद भी इस काम को करने के कुछ reasons हैं
Negative Phase
में होने के बावज़ूद इस business ने कई सारे successful और करोड़पति पैदा कर दिए हैं।
कम या बिना investment के start हो जाता है।
Leadership quality
को improve करता है।
Positive
लोगों का साथ रहके motivational मिलता है।
आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
इन्सान के अंदर जीत का ज़ज्बा पैदा कर देता है।
Network Marketing का वर्तमान और भविष्य
Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry (FICCI) network marketing को आने वाले दिनों में India में बहुत बड़ी Industry के रूप में स्वीकार कर चुका है। अगर अभी FICCI की report की बात करें तो Network Marketing / Direct Selling industry का size 7000 करोड़ रूपये आँका गया है।
पिछले 5 सालों में 20% growth रेट से India में direct selling business ने growth की है और इस situation को देखते हुए FICCI के अनुसार 2025 तक direct selling 645 अरब रूपये का व्यापर बन जायेगा।
Develop countries like
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, वियतनाम और सिंगापुर आदि ने तो इस industry को काफी हद तक अपना लिया है ।

सकरात्मक मगर छोटी शुरुआत से सफलता

एक लड़का सुबह सुबह दौड़ने को जाया करता था | आते जाते वो एक बूढी महिला को देखता था | वो बूढी महिला तालाब के किनारे छोटे छोटे कछुवों की पीठ को साफ़ किया करती थी | एक दिन उसने इसके पीछे का कारण जानने की सोची | वो लड़का महिला के पास गया और उनका अभिवादन कर बोला नमस्ते आंटी ! मैं आपको हमेशा इन कछुवों की पीठ को साफ़ करते हुए देखता हूँ आप ऐसा किस वजह से करती है ?”  महिला ने उस मासूम से लड़के को देखा और इस पर लड़के को जवाब दिया मैं हर रविवार यहाँ आती हूँ और इन छोटे छोटे कछुवों की पीठ साफ़ करते हुए सुख शांति का अनुभव लेती हूँ |”  क्योंकि इनकी पीठ पर जो कवच होता है उस पर गंदगी जमा हो जाने की वजह से इनकी गर्मी पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है इसलिए ये कछुवे तैरने में मुश्किल का सामना करते है | कुछ समय बाद तक अगर ऐसा ही रहे तो ये कवच भी कमजोर हो जाते है इसलिए कवच को साफ़ करती हूँ |
यह सुनकर लड़का बड़ा हैरान था | उसने फिर एक जाना पहचाना सा सवाल किया और बोला बेशक आप बहुत अच्छा काम कर रही है लेकिन फिर भी आंटी एक बात सोचिये कि इसके जैसे कितने कछुवे है जो इनसे भी बुरी हालत में है जबकि आप सभी के लिए ये नहीं कर सकती तो उनका क्या क्योंकि आपके अकेले के बदलने से तो कोई बड़ा बदलाव नहीं आयेगा न?
महिला ने बड़ा ही संक्षिप्त लेकिन असरदार जवाब दिया कि “भले ही मेरे इस कर्म से दुनिया में कोई बड़ा बदलाव नहीं आयेगा लेकिन सोचो कि इस एक कछुवे की जिन्दगी में तो बदल्वाव आयेगा ही न | तो क्यों न हम छोटे बदलाव से ही शुरुआत करें |

दोस्तों , हमलोग हमेशा ही कुछ नया करने का मौका मिलता है तो हम ये सोचते है कि अभी इसमें हमें कोई बड़ी परिणाम मिल रही है कि नहीं . जबकि किसी भी बड़ी सफलता व परिणाम के लिए छोटी एवं सकरात्मक शुरुआत की ही जरूरत होती है . हमें भाग्यवादी होने से बेहतर है कि हम आशावादी बने तथा लगातार सकारात्मक प्रयास करते रहे सफलता जरुर मिलेगी .



मंगलवार, 3 अप्रैल 2018

सफलता के लिए धैर्यवान होना जरुरी

एक बार महात्मा बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ एक गाँव में भ्रमण कर रहे थे| मीलों की पैदल यात्रा करते - करते काफ़ी देर हो गयी थी| बुद्ध जी को काफ़ी प्यास लग गयी | उन्होनें अपने एक शिष्य को गाँव से पानी लाने की आज्ञा दी| जब वह शिष्य गाँव में अंदर गया तो उसने देखा वहाँ एक नदी थी जहाँ बहुत सारे लोग कपड़े धो रहे थे कुछ लोग नहा रहे थे तो नदी का पानी काफ़ी गंदा सा दिख रहा था| शिष्य को लगा की गुरु जी के लिए ऐसा गंदा पानी ले जाना ठीक नहीं होगा, ये सोचकर वह वापस आ गया| महात्मा बुद्ध को बहुत प्यास लगी थी, इसीलिए उन्होनें फिर से दूसरे शिष्य को पानी लाने भेजा| कुछ देर बाद वह शिष्य लौटा और पानी ले आया| 
महात्मा बुद्ध ने शिष्य से पूछा की नदी का पानी तो गंदा था फिर तुम साफ पानी कैसे ले आए| शिष्य बोला की प्रभु वहाँ नदी का पानी वास्तव में गंदा था लेकिन लोगों के जाने के बाद मैने कुछ देर इंतजार किया| और कुछ देर बाद मिट्टी नीचे बैठ गयी और साफ पानी उपर आ गया|
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बुद्ध यह सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और बाकी शिष्यों को भी सीख दी कि हमारा ये जो जीवन व व्यवसाय है यह पानी की तरह है| जब तक हमारे कर्म अच्छे हैं तब तक सब कुछ शुद्ध है, लेकिन जीवन में कई बार दुख और समस्या भी आते हैं जिससे जीवन रूपी पानी गंदा लगने लगता है| कुछ लोग पहले वाले शिष्य की तरह बुराई को देख कर घबरा जाते हैं और मुसीबत देखकर वापस लौट जाते हैं, वह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाते वहीं दूसरी ओर कुछ लोग जो धैर्यशील होते हैं वो व्याकुल नहीं होते और कुछ समय बाद गंदगी रूपी समस्याएँ और दुख खुद ही ख़त्म हो जाते हैं| 
तो दोस्तों, इस कहानी की सीख यही है कि समस्या और बुराई केवल कुछ समय के लिए जीवन रूपी पानी को गंदा कर सकती है| लेकिन अगर आप धैर्य से काम लेंगे तो बुराई खुद ही कुछ समय बाद आपका साथ छोड़ देगी| और हम अपने जीवन को सफल बना लेंगे.

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