बुधवार, 4 अप्रैल 2018

सकरात्मक मगर छोटी शुरुआत से सफलता

एक लड़का सुबह सुबह दौड़ने को जाया करता था | आते जाते वो एक बूढी महिला को देखता था | वो बूढी महिला तालाब के किनारे छोटे छोटे कछुवों की पीठ को साफ़ किया करती थी | एक दिन उसने इसके पीछे का कारण जानने की सोची | वो लड़का महिला के पास गया और उनका अभिवादन कर बोला नमस्ते आंटी ! मैं आपको हमेशा इन कछुवों की पीठ को साफ़ करते हुए देखता हूँ आप ऐसा किस वजह से करती है ?”  महिला ने उस मासूम से लड़के को देखा और इस पर लड़के को जवाब दिया मैं हर रविवार यहाँ आती हूँ और इन छोटे छोटे कछुवों की पीठ साफ़ करते हुए सुख शांति का अनुभव लेती हूँ |”  क्योंकि इनकी पीठ पर जो कवच होता है उस पर गंदगी जमा हो जाने की वजह से इनकी गर्मी पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है इसलिए ये कछुवे तैरने में मुश्किल का सामना करते है | कुछ समय बाद तक अगर ऐसा ही रहे तो ये कवच भी कमजोर हो जाते है इसलिए कवच को साफ़ करती हूँ |
यह सुनकर लड़का बड़ा हैरान था | उसने फिर एक जाना पहचाना सा सवाल किया और बोला बेशक आप बहुत अच्छा काम कर रही है लेकिन फिर भी आंटी एक बात सोचिये कि इसके जैसे कितने कछुवे है जो इनसे भी बुरी हालत में है जबकि आप सभी के लिए ये नहीं कर सकती तो उनका क्या क्योंकि आपके अकेले के बदलने से तो कोई बड़ा बदलाव नहीं आयेगा न?
महिला ने बड़ा ही संक्षिप्त लेकिन असरदार जवाब दिया कि “भले ही मेरे इस कर्म से दुनिया में कोई बड़ा बदलाव नहीं आयेगा लेकिन सोचो कि इस एक कछुवे की जिन्दगी में तो बदल्वाव आयेगा ही न | तो क्यों न हम छोटे बदलाव से ही शुरुआत करें |

दोस्तों , हमलोग हमेशा ही कुछ नया करने का मौका मिलता है तो हम ये सोचते है कि अभी इसमें हमें कोई बड़ी परिणाम मिल रही है कि नहीं . जबकि किसी भी बड़ी सफलता व परिणाम के लिए छोटी एवं सकरात्मक शुरुआत की ही जरूरत होती है . हमें भाग्यवादी होने से बेहतर है कि हम आशावादी बने तथा लगातार सकारात्मक प्रयास करते रहे सफलता जरुर मिलेगी .



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Please do not enter any spam link in the comment box.