मंगलवार, 6 नवंबर 2018

आंतरिक सोच की शक्ति - Power of Internal Thought


एक व्यक्ति अपने पुरे परिवार के साथ शहर से बहुत दूर एक छोटे गाँव में रहता था. उसके घर में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी. सभी परिवार के सदस्य खुशी से रहते थे. लेकिन उसके दिमाग में हमेशा यही बात सोचते रहता था कि काश हमलोग भी शहरों में रहते तो वहां सभी सुख सुविधाए उपलब्ध है. उसे लगता था कि शहर की जिन्दगी अच्छी है. यानि की शहर की चकाचौंध उसके दिमाग में घूमते रहता था . कभी उसने अपने गाँव के रहन- सहन, वातावरण, शुद्धता तथा ताजगी के सकरात्मक नजरिये से नहीं देखता था.

एक दिन की बात है, उसके घर शहर में रहने वाला एक मित्र आया. वह जमीन खरीद – बिक्री का काम करता था. उसे देखते ही उसके दिमाग में फिर शहर में रहने की बात याद आयी, तो वो अपने दोस्त से अपने बात बतायी कि “दोस्त , मै भी शहर में रहना चाहता हूँ. इस गाँव में रहना मुझे पसंद नहीं है.” दोस्त ने कहा - “ ठीक है तुम मेरे साथ रह सकते हो”.
व्यक्ति ने समझाते हुए कहा कि “ मै चाहता हूँ कि अपने गाँव का घर – जमीन बेच दू तथा शहर में घर लेकर वही रहने लगु.” उसके दोस्त ने घर को देखा और कहा – “तुम्हारा घर इतना सुन्दर है. फिर तुम इसे क्यों बेचना चाहते हो. अगर तुम्हे पैसे की जरूरत हो तो हमसे ले लो. या कुछ दिन शहर में रहना चाहते हो तो हमारे पास रह कर देख लो कि शहर में रहना का क्या फायदा या नुकसान है”.
व्यक्ति ने पुनः समझाते हुए कहा कि “मेरा घर शहर से बहुत दूर है. यहाँ की सड़के शहर की तरह पक्की नहीं है. यहाँ शहर जैसे बड़े-बड़े मॉल व होटले नहीं है. और भी बहुत-सी ऐसी चीजे जो शहर में है लेकिन हमारे गाँव में नहीं है. यहाँ बरसात में भी बहुत किचकिच होता है”. उसके दोस्त ने कहा – “ठीक है, तूने शहर जाने का सोच ही लिया है. तो मै जल्दी ही तुम्हारे इस घर को बिकवा दूंगा.” दोस्त ने उसके घर तथा आसपास के कुछ तस्वीर अपने मोबाइल खीच लिया और चल दिया.
व्यक्ति ने अगले ही दिन अख़बार में एक घर का विज्ञापन देखा. विज्ञापन में लिखा था-“ शहर की भीड़-भाड से दूर , हरियाली से भरा हुआ, स्वच्छ वातावरण , ताजी हवा युक्त एक सुन्दर घर में बसाये अपने सपनो का घर. घर खरीदने के लिए निचे दिए नंबर पर वहाट्सअप करे या दिये गए वेबसाइट पर लॉग इन करे. जब उसने व्हाट्सअप किया तो रिप्लाई में उसके घर का मनोहक तस्वीर आया, जिसे देखकर वो हैरान रह गया. क्योकि ये विज्ञापन उसी के घर का था. लेकिन वो कभी इस नजरिये से अपने घर को देखा ही नहीं था. यह जानकर वह खुशी से झूम उठा. उसने अपन दोस्त को फोन लगाया और कहा – मैं तो पहले से ही अपने पसंद की घर में रहा रहा हूँ . इसलिए तुम मेरा घर किसी को मत बेचना. यही है मेरे सपनो का गाँव और यही है मेरे सपनो का घर.
दोस्तों, इस Motivational Story से हमें यह सिख मिलता है कि ज्यादातर लोगो को अपने जीवन से शिकायत होती है. वे सोचते है कि उनके जीवन दुखो से भरा है . ऐसे लोगो को दुसरे लोगो की जिंदगी ही बहुत ही अच्छी लगती है. हमारे जीवन में भी बहुत ऐसी सकरात्मक व विशेष पहलू है, जिसे हम कभी सकारात्मक रूप से सोचते नहीं है. आप सभी अपने जीवन के सकरात्मक पहलू पर विचार करे तथा उसे और बेहतर बनाने की प्रयास करना चाहिए.
दोस्तों, ये कहानी कैसी लगी कमेंट कर जरुर बताये. धन्यवाद .   

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