रविवार, 27 दिसंबर 2020

सफलतम प्रयास - Motivational Story

 हर व्यक्ति अपने जीवन में सफल होना चाहता है जिसके लिए निरंतर प्रयास करते रहता है । लेकिन हर सफलतम प्रयास तक पहुचने से पहले विभिन्न असफलताओं से गुजरना पड़ता है जिसके लिए निरंतर संघर्ष करते हुए आगे बढ़ना पड़ता है । आइए एक छोटी सी कहानी प्रथम प्रयास के माध्यम से समझते हैं। 

सफलतम प्रयास - Motivational Story


एक बार की बात है। एक प्रतापी राजा के राज्य में एक विदेशी मेहमान राजा के दरबार में पंहुचा और उसने राजा को उपहार स्वरूप सुन्दर पत्थर प्रदान किया । 

बड़ा एवं सुन्दर पत्थर राजा को बेहद पसंद आया और उसे देश बहुद ख़ुशी हुए। राजा ने उस पत्थर से शंकर भगवान की मूर्ति निर्माण कर अपने राज्य के मंदिर में स्थापित करने का फैसला लिया। 

मूर्ति निर्माण हेतु महामंत्री को बुलाया गया। राजा ने महामंत्री को पत्थर दिखाते हुए बोला " यह पत्थर बेहद मूल्यवान एवं विशेष प्रकार की है। इससे बहुत ही मनोरम मूर्ति भगवान शंकर की बनवानी है।" 

महामंत्री ने राज्य के सर्वश्रेष्ठ मूर्तिकार के पास वह पत्थर ले गया और उससे बोला "महाराज ने निर्णय किया है कि इस पत्थर से भगवान शंकर की मनोरम मुर्तिया बनाना है, जिसके के लिए बनाने वाले को 100 स्वर्ण मुद्राये इनाम स्वरूप दिया जायेगा। इसे 10 दिनों के अन्दर भगवान शंकर की प्रतिमा बनाकर राजा के दरबार में पंहुचा देना।" 

100 स्वर्ण मुद्राओं की बात सुनकर मूर्तिकार बहुत खुश हुआ। और महामंत्री से शीघ्र बनाकर पंहुचा देने की बात कही। महामंत्री के जाने के उपरांत मूर्तिकार ने अपने औजार निकाल कर मूर्ति निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया। 

सबसे पहले हथौड़ा उठाया और पत्थर तोड़ने का प्रयास करने लगा। मूर्तिकार के कर हथौड़े से वार करने के बावजूद पत्थर नहीं टुटा। 

50 बार प्रयास करने के बावजूद जब पत्थर नहीं टुटा तो उसने सोचने लगा आखिर यह पत्थर टूट क्यों नहीं रहा है। चलो एक बार तरीका बदल कर प्रयास करते है। अंतिम बार प्रयास करने के उद्देश्य से हथौड़ा उठाया, किन्तु यह सोच कर हथौड़े से वार करने के पूर्व ही उसने हाथ खीच लिया कि जब 50 बार वार करने से पत्थर नहीं टुटा, तो अब क्या टूटेगा। चलो इसे महामंत्री को वापस कर देते है। 

मूर्तिकार पत्थर लेकर वापस करने महामंत्री के पास पंहुचा और उन्हें दे दिया। मूर्तिकार ने बोला " इस पत्थर को तोड़ना मुमकिन नहीं । इसलिए इस पत्थर से भगवान शंकर की मूर्ति नहीं बन सकता है।" 

चुकि महामंत्री को राजा का आदेश हर हाल में पूर्ण कराना था। इसलिए उनसे राज्य के एक साधारण मूर्तिकार को ये कार्य सौपा। इस साधारण मूर्तिकार ने महामंत्री के सामने ही हथौड़े से वार किया और वह पत्थर एक ही बार में टूट गया। 

पहले ही प्रयास में पत्थर टूटता देख महामंत्री यह सोचने लगा काश पहले मूर्तिकार ने एक अंतिम प्रयास किया होता हो वह सफल हो जाता और उसे 100 स्वर्ण मुद्राये मिल जाती। 

पत्थर टूटने के बाद साधारण मूर्तिकार ने भगवान शंकर की मूर्ति बनाने में लग गया।

निकर्ष: दोस्तों, हम अपने जीवन के सफलतम प्रयास करने के उदेश्य से ही कोई कार्य करना शुरू करते है या बोले तो अपने मंजिल को पाना चाहते है। लेकिन हमारे जीवन में विभिन्न परिस्थितियां आते रहती है। कई बार हम अपने मंजिल के करीब पहुच कर किसी समस्या के सामने आने पर उसका समाधान करने के बावजूद हम प्रयास करना छोड़ देते है। बार-बार प्रयास करने पर हमारा आत्मविश्वास डगमगा जाता है और हम एक और प्रयास किये बिना ही हार मान लेते है। इसलिए बार-बार असफल होने के बावजूद भी तब तक प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए, जब तक की सफलता मिल न जाये। क्या पता, जिस प्रयास को करने से पहले अपने हाथ खीच लेते है, वही अंतिम एवं सफलतम प्रयास हो। 

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