जब कभी हमारी जिंदगी में समस्या या मुश्किलें आती है, तो हम में से ज्यादातर लोग सोचते हैं कि ऐसा मेरे साथ ही क्यों हो रहा है| यही सोच धीरे-धीरे हमारे अंदर घोर निराशा पैदा करके हमारी जिंदगी को एक बोझ बना सकती है। ऐसे में जरूरत है कि हम खुद पर भरोसा रखें और अपनी ताकत के साथ उनका मुकाबला करें और ऐसा तब तक करते रहे जब तक हम उन पर विजय हासिल ना कर ले। आप सोचेंगे कि यह असंभव है, लेकिन विश्वास मानिए “जिंदगी में कुछ भी असंभव नहीं है” । अगर विश्वास ना हो तो यह निक वुजिकिक की प्रेरक कहानी पढ़िए:-
Motivational Story: Nic Vujicic |
वह हमेशा यही सोचते थे और ईश्वर से हमेशा प्रार्थना करते थे कि काश उनको हाथ-पाव मिल जाए| वे अपनी विकलांगता से इतने निराश थे कि 10 वर्ष के उम्र में उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश की। लेकिन फिर उनकी मां के द्वारा दिए गए एक लेख को पढ़कर उनका जीवन के प्रति नजरिया पूरी तरह से परिवर्तित हो गया| यह लेख एक समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ था, जो एक विकलांग व्यक्ति की अपनी विकलांगता से जंग और उस पर विजय की कहानी थी| उस दिन उन्हें समझ में आ गया कि वे अकेले व्यक्ति नहीं है जो संघर्ष कर रहे हैं।
तू कयामत तक धरने पर बैठ ऐ किस्मत,
हम कोशिश करने से कभी इस्तीफा नहीं देंगे।
निक वुजिकिक धीरे-धीरे यह समझ चुके थे कि वह चाहे तो अपनी जिंदगी को सामान्य तरीके से जी सकते हैं| निक वुजिकिक धीरे-धीरे पैर की जगह पर निकली हुई अंगुलियों और कुछ उपकरणों की मदद से लिखना और कंप्यूटर पर टाइप करना सीख लिया। 17 वर्ष की उम्र में अपने प्रार्थना समूह में व्याख्यान देना शुरू कर दिया| 21 वर्ष की उम्र में निक वुजिकिक ने एकाउंटिंग और फाइनेंस में ग्रेजुएशन कर लिया और एक प्रेरक वक्ता के रूप में अपना करियर शुरू किया।
आंतरिक सोच की शक्ति - Power of Internal Thought
आसान रास्ते की तलास - The easier way may actually be the tougher
उन्होंने एटीट्यूड इज एटीट्यूड (“Attitude is Attitude”) नाम से अपनी कंपनी बनाई और धीरे-धीरे निक वुजिकिक को दुनिया में एक ऐसे प्रेरक वक्ता के रूप में पहचाना जाने लगा जिनका खुद का जीवन अपने आप में एक चमत्कार है। उन्होंने प्रेरणा और सकारात्मकता का संदेश देने के लिए लाइफ विदाउट लिम्बस (“Life Without Limbs”) नाम से गैर-लाभकारी संगठन भी बनाया है। 33 वर्षीय निक वुजिकिक आज ना सिर्फ एक सफल प्रेरक वक्ता है बल्कि वह सब करते हैं जो एक सामान्य व्यक्ति करता है. जन्म से ही हाथ पैर ना होने के बावजूद वे गोल्फ वह फुटबॉल खेलते हैं, तैरते हैं, स्काईडाइविंग और सर्फिंग भी करते हैं।
यह अपने आप में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, लेकिन इससे भी ज्यादा प्रभावित करने वाली बात है, उनकी जीवन के प्रति खुशी और शांति की सम्मोहक भावना। आज वे दुनिया को जिंदगी जीने का तरीका सिखा रहे हैं। जहां हम छोटी-छोटी बातों से परेशान और हताश हो जाते हैं वहीं निक वुजिकिक जैसे लोग हर पल यह साबित करते रहते हैं कि असंभव कुछ भी नहीं - प्रयास करने पर सब कुछ आसान हो जाता है।
ये जो लक्ष्य है न तुम्हारा,
इसके लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
हारते तो सभी हैं, पर होंसला रख के
प्रयास बार-बार करना पड़ेगा।
जिंदगी द्वारा दी गई हर चीज को खुले मन से स्वीकार करनी चाहिए, चाहे वे मुश्किलें ही क्यों ना हो| मुश्किलें ही वो सीढियाँ है जिन पर चढ़कर ही हमें जिंदगी में कामयाबी और ख़ुशी मिलेगी| जो हमारे पास है उसके लिए ईश्वर धन्यवाद दे और आगे बढे|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Please do not enter any spam link in the comment box.