मंगलवार, 8 मई 2018

हीरे की खोज

हाफिज अफ्रीका का एक किसान था। वह अपनी जिंदगी से खुश और संतुष्ट था । हाफिज खुश इसलिए था कि वह संतुष्ट था। वह संतुष्ट इसलिए था क्योंकि वह खुश था। एक दिन एक अकलमंद आदमी उसके पास आया उसने हाफिज को हीरे के महत्व और उनसे जुड़ी ताकत के बारे में बताया उसने हाफिज को हीरे के महत्व और उनसे जुडी ताकत के बारे में बताया । उसने अभी से कहा, "अगर तुम्हारे पास अंगूठे जितना भी बड़ा हीरा हो, तो तुम पूरा शहर खरीद सकते हो, और अगर तुम्हारे पास मुट्ठी जितना बड़ा हीरा हो तो तुम अपने लिए शायद पूरा देश ही खरीद लो।" वह अकलमंद आदमी इतना कह कर चला गया । उस रात हफीज सो नहीं सका । वह असंतुष्ट हो चुका था, इसलिए उसकी खुशी भी खत्म हो चुकी थी।

दूसरे दिन सुबह होते ही हफीज ना अपने खेतों को बेचने और अपने परिवार की देखभाल का इंतजाम किया, और हीरे खोजने के लिए रवाना हो गया। वह हीरो की खोज में पूरे अफ्रीका में भटकता रहा, पर उन्हें पा नहीं सका। उसने उन्हें यूरोप में भी ढूंढा पर वे उसे वहां भी नहीं मिले। स्पेन पहुंचते-पहुंचते वह मानसिक, शारीरिक और आर्थिक स्तर पर पूरी तरह टूट चुका था। वह इतना मायूस हो चुका था कि उसने बार्सिलोना नदी में कूदकर खुदकुशी कर ली।
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इधर जिस आदमी ने हफीज के खेत खरीदे थे, वह एक दिन उन खेतों से होकर बहने वाले नाले में अपने ऊँटो को पानी पिला रहा था । तभी सुबह के वक्त उग रहे सूरज की किरने नाले के दूसरी ओर पर पड़े एक पत्थर पर पड़ी और वह इंद्रधनुष की तरह जगमगा उठा। यह सोच कर कि वह पत्थर उसकी बैठक में अच्छा दिखेगा, उसने उसे उठाकर अपनी बैठक में सजा दिया । उसी दिन दोपहर में हफीज को हीरो के बारे में बताने वाला आदमी खेतो के इस नए मालिक के पास आया। उसने उस जगमगाते हुए पत्थर को देखकर पूछा, "क्या हाफिज लौट आया?" नए मालिक ने जवाब दिया, "नहीं, लेकिन आपने यह सवाल क्यों पूछा?" अकलमंद आदमी ने जवाब दिया, "क्योंकि यह हीरा है। मैं उन्हें देखते ही पहचान जाता हूं।" नए मालिक ने कहा, "नहीं, यह तो महज एक पत्थर है। मैंने इसे नाले के पास से उठाया है। आइए, मैं आपको दिखाता हूं। वहां पर ऐसे बहुत सारे पत्थर पड़े हुए है। उन्होंने वहां से नमूने के तौर पर बहुत सारे पत्थर उठाए, और उन्हें जांचने-परखने के लिए भेज दिया। वे पत्थर हीरे ही रही साबित हुए। उन्होंने पाया कि उस खेत में दूर-दूर तक हीरे दबे हुए थे ।
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इस कहानी हमे बताती है कि यदि हमारी नजरिया सही हो तो हर नकरात्मक परिस्थितियों में भी सकारात्मक ढूंढ सकते हैं। कहा जाता है न कि दूर का ढोल सुहावन लगता है। या फिर दूसरे के खेत की घास हमेशा हरी होती है। ऐसे भी जिन्हें मौके की पहचान नही होती, उन्हें मौके का खटखटाना शोर लगता है। मौका जब आता है, तो लोग उसकी अहमियत नही समझते। और जब मौका जाने लगता है, तो उसके पीछे भागते है।
इसलिए हमे किसी भी मौके को हाथ से जाने से, पहले गंभीरता से बिचार करने के उपरांत ही एक ठोस निर्णय लेना चाहिए।

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